सिखों के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल श्री हेमकुण्ड साहिब के कपाट आज इस बर्ष की अंतिम अरदास के बाद दोपहर 1.30 बजे शीत काल के लिए सेना के बैंड की मधुर ध्वनि के साथ बंद कर दिए गए इसी के साथ लक्ष्मण (लोकपाल ) मंदिर के कपाट भी विधि -विधान व पूजा अर्चना के बाद श्रद्धालुओ के लिए बंद कर दिये गए, इस अवसर पर बड़ी संख्या मे श्रद्धालु मौजूद थे आज सुबह 5 बजे से शब्द-
कीर्तन, पहली अरदास व गुरुवाणी के साथ कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हुई हेमकुंड साहिब के मुख्य ग्रंथी ने दोपहर 12.30 बजे इस बर्ष की अंतिम अरदास की एक बजे पंच प्यारों की अगुवाई मे गुरु ग्रन्थ को सच खंड दरबार साहिब मे बिराजमान किया गया इसके बाद 1.30 बजे कपाट बंद कर दिए गए आपको बता दे कि समुद्र तल से पंद्रह हजार 197 फीट की ऊंचाई पर सिखाे का पवित्र तीर्थ स्थल हेमकुंड साहिब है,जो सात बर्फीली चोटियां और सरोवर से घिरा हुआ है यहां प्रति वर्ष लाखों की संख्या में देश- विदेश से सिख तीर्थ यात्री पहुंचते हैं इस बर्ष की यात्रा बीते माह 18 सितम्बर से शुरू हुई थी,जो मात्र
23 दिनों तक चली,जिस मे
11 हजार से अधिक यात्री हेमकुंड पहुंचे है
इस तीर्थ स्थल की खोज पांचवे दशक में सरदार मोदन सिंह द्वारा की गई, इसी स्थान पर हिन्दुओं के लोकपाल लक्षमण का मंदिर भी है मान्यता है कि यहां पर लक्षमण जी जो शेषनाग के अवतार थे, ने तपस्या की थी हेमकुंड साहिब तथा लक्षमण मंदिर के कपाट एक ही दिन खुलते व बंद होते है
ऋषिकेश – बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर गोविंद घाट से 21 किलोमीटर की पैदल चड़ाई पार कर यहां पहुंचा जाता है
कोरोना संकट के कारण इस बार
हेमकुंड के कपाट साढे तीन माह बाद खुले