उत्तराखंड में अधिकारियों की ऐसी कारस्तानी सामने आई हैं।जिसने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया हैं। अंदाजा लगाइए की प्रदेश का मुखिया और विभाग का सर्वेसर्वा किसी तबादले की सूची को मंजूरी दे और जब शासन से आदेश जारी हो तो उसमें सूची में कई दूसरे नाम भी जुड़ जाए.. जी हां ये मुमकिन हुआ है उत्तराखंड वन विभाग की उस सूची में जिसे कुछ पहले यानी 7 जुलाई को ही प्रमुख सचिव आनंद वर्धन के साईन से जारी किया गया।

सूची जारी होने के बाद विभागीय मंत्री हरक सिंह और खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह ने देखा तो वो हक्के बक्के रह गए, आनन फानन में मंत्री हरक सिंह ने सीएम से संवाद किया, तो पता चला कि सीएम ने भी ऐसी किसी सूची को अनुमोदित ही नही किया था।

दरअसल खबर है कि इनदिनों त्रिवेंद्र सिंह और हरक सिंह की खूब अच्छी पट रही है। पुरानी खटास विकास कार्यों के कामों पर आपसी तालमेल में बदल गयी है। बताया जा रहा है कि आईएफएस अधिकारी पराग को सीएम ने अपना विशेष सचिव बनाया है जो वन विभाग के साथ तालमेल बनाने में काफी योगदान दे रहे है। लेकिन महकमे में अधिकारियों की अंदरूनी बातचीत इस बात को दूसरे नजरिये से ले रही है.

आपको बता दे कि तबादला आदश जारी होने के बाद सीएम को जब इसकी भनक लगी तो फौरन इसमे बाकी अधिकारियों के नाम को हटाकर उनके तबादले निरस्त कर दिए गए। हालाकिं अब इसे भूल बताकर अधिकारी खुद की सीएम के सामने बची हुई शाख को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।

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