उत्तरप्रदेश। जब पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम आए तो बीजेपी के दो दिग्गज नेताओं के हारने की काफी चर्चा हुई। इनमें से एक थे उत्तराखंड में सीएम का चेहरा रहे पुष्कर धामी और दूसरे यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य दोनों के हारने पर उनके राजनीतिक भविष्य पर सवाल उठने लगे थे। धामी को तो बीजेपी ने चुनाव हारने के बाद भी सीएम की उनकी पुरानी हस्ती लौटा दी, अब केवल इस बात पर कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या केशव प्रसाद मौर्या का पार्टी डिप्टी सीएम की कुर्सी फिर से सौंपेगी।

तो इस बात का जवाब यह है कि धामी फॉर्मूला यूपी में भी अपनाया जा सकता है और केशव मौर्या को चुनाव हारने के बावजूद डिप्टी सीएम की कुर्सी पर फिर से बैठाया जा सकता है। केशव प्रसाद को विधानसभा चुनाव हारने के बावजूद बीजेपी क्यों फिर से डिप्टी सीएम के पद से नवाजेगी, इसकी वजह है राज्य में फैला ओबीसी वर्ग का बड़ा वोट बैंक और आने वाले लोकसभा चुनावों में इस वोट बैंक की जरूरत। बीजेपी केशव को नजर अंदाज करके ओबीसी वर्ग का नाराज करने और सपा व अन्य विपक्षी दलों को आरोप लगाने का कोई मौका नहीं देना चाहती। बीजेपी थिंकटैंक यूपी में पहले ही उन्हें पिछड़ी जाति के अग्रिम नेता के रूप में आगे ला चुका है।

2017 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में व इस साल हुए विधानसभा चुनाव में भी उन्हें पिछड़े वर्ग का वोट लाने के मिशन पर लगाया गया था। इसकी वजह है राज्य में फैला ओबीसी वर्ग का बड़ा वोट बैंक और आने वाले लोकसभा चुनावों में इस वोट बैंक की जरूरत। बीजेपी केशव को नजर अंदाज करके ओबीसी वर्ग का नाराज करने और सपा व अन्य विपक्षी दलों को आरोप लगाने का कोई मौका नहीं देना चाहती।

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