उत्तराखंड के देहरादून से बड़ी खबर आ रही है। यहां शासन का बुल्डोजर 400 करोड़ की शत्रु संपत्ति पर गरजा है। बताया जा रहा है कि काबुल हाउस आखिरकार 40 साल बाद भू माफिया के चंगुल से मुक्त होने के बाद अब अतिक्रमण हटाए जाने की कारवाई भी शुरू हो गई। इसकों खाली कराने के लिए प्रशासन की ओर से लगभग 300 लोगों को उनके घरों से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। आइए जानते है क्या है इस 400 करोड़ के काबुल हाउस का मामला..

बताया जाता है कि काबुल के तत्कालीन राजा मोहम्मद याकूब खान ने देहरादून के 15 बी ई सी रोड पर अपना महल बनाया था। याकूब खान काबुल से आकर देहरादून बसे थे। तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने उनको यहां बनाने के लिए कुछ जमीन दी थी, जहां उन्होंने अपना महल बनाया था। सरकार का कहना है कि आजादी के बाद याकूब खान तो यहां से दूसरे देश चले गए थे। बताया जा रहा है कि जिसके बाद से ही काबुल हाउस के कई लोगों ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर अपना होने का भी दावा किया था। लंबे समय से काबुल हाउस में 16 परिवार रह रहे थे। वहीं उनके वंशजों का कहना है कि वो कहीं नहीं गए आज भी उनके वंशज यहीं मौजूद हैं।  इनमें से कुछ लोगों का कहना है कि हम लोग विस्थापित (दूसरे स्थान से लाकर बसाया गया) लोग हैं, जो भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के दौरान यहां आकर बसे थे।

बताया जा रहा है कि 1937-38 में बंदोबस्त के समय शहरी क्षेत्रों में एक ही खसरा नंबर राजस्व रिकार्ड में अंकित किया जाता था। उस दौर के शहरी क्षेत्र में अलग-अलग खेवट तय होने के बाद भी संबंधित खेवट का खसरा नंबर स्पष्ट नहीं हो पाता था। देहरादून में बंदोबस्ती की कानूनी प्रक्रिया न होने के कारण 1947 में देश के बंटवारे के बाद राजस्व रिकॉर्ड में शत्रु संपत्ति दर्ज नहीं हो पाई थी। इस विवाद का मामला देहरादून के डीएम कोर्ट में चल रहा था ये मामला पिछले 40 वर्षों से चल रहा था, तमाम न्यायिक प्रक्रिया के पालन के बाद बकायदा डीएम कोर्ट ने पहले इसे खाली करने के आदेश दिए थे। जिसे खाली कराने के बाद अब इस पर से अतिक्रमण हटाए जाने की कारवाई भी शुरू हो गई।

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