नैनीतालः उत्तराखंड में जहां चारधाम यात्रा शुरू होने वाली है। इससे पहले हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा में सुविधाओं को लेकर स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मुख्य सचिव को दो माह के भीतर पत्र खामियों का निस्तारण करने के निर्देश दिए हैं। जिससे कि तीर्थयात्रियों को चारधाम यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार की दिक्कतों का सामना न करना पड़े।

मीडिया रिपोर्टस के अनुसार बुधवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने चारधाम यात्रा से जुड़े मामले में सुनवाई की है। बताया जा रहा है कि  बाम्बे हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति केआर श्रीराम ने 15 जून 2019 को नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर चारधाम यात्रा में तीर्थयात्रियों को हो रही दिक्कतों व अव्यवस्था को उजागर किया था। उन्होंने कहा था कि चारधाम में आपदा का इंतजार हो रहा है। यमुनोत्री में तत्काल सुरक्षा इंतजाम करने की जरूरत है। खुद के चारधाम यात्रा के दौरान के अनुभव बयां करते हुए कहा था कि यात्रा मार्ग में कई किमी दूर तक पुलिस का जवान मौजूद नहीं रहता है। इस परिस्थिति में स्वास्थ्य या आपातकाल में मदद की उम्मीद नहीं की जा सकती।

यात्रा मार्ग पर बैठने को बैंच, कुर्सी, शौचालय अथवा दूसरी सुविधाओं की भारी कमी है। उन्होंने खच्चर से और परिवार के अन्य सदस्यों ने पथरीले रास्तों से यात्रा तय की। इतने लंबे मार्ग में आराम करने के लिए कोई सुविधा नही है न ही मेडिकल की सुविधा है। इस पर संज्ञान लें। जिससे कि तीर्थयात्रियों को चारधाम यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार की दिक्कतों का सामना न करना पड़े। कोर्ट ने जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है। कोर्ट ने मामले में शासन को आदेश दिया है कि दो माह के भीतर चारधाम यात्रा में सुविधाओं को दुरस्त करने के आदेश दिए है।

 

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