उत्तराखंड शिक्षा विभाग के कारनामे भी अजब गजब हैं। विभाग में प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों के धारा 27 के तहत तबादलों की तैयारी है। इसके लिए शिक्षकों से आवेदन मांगे जा रहे हैं, लेकिन माध्यमिक के शिक्षकों को शून्य सत्र बताकर उनसे आवेदन नहीं लिए जा रहे हैं। इससे माध्यमिक के शिक्षक एक ही विभाग में दोहरे मापदंड से खफा हैं।

प्रदेश में कोविड की वजह से वर्ष 2021-22 को शून्य तबादला सत्र घोषित किया गया है। जबकि पिछले वर्ष भी तबादला सत्र शून्य घोषित किया गया था। इसके बावजूद बड़ी संख्या में बेसिक के शिक्षकों के तबादले हुए। अब विभाग की ओर से एक बार फिर प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों से धारा 27 के तहत आवेदन मांगे जा रहे हैं। विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि धारा 27 के तहत अंतरसंवर्गीय तबादलों के लिए शासन की ओर से तबादलों की अनुमति दी गई है।

इससे माध्यमिक के शिक्षक खफा हैं। उनका कहना है कि एक ही विभाग में तबादलों को लेकर दोहरी नीति अपनाई जा रही है। राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय महामंत्री डॉ. सोहन सिंह माजिला के मुताबिक वर्ष 2020 के बाद अब 2021 को शून्य तबादला सत्र घोषित किया गया है।

वर्ष 2020 में लगभग आठ सौ शिक्षकों के तबादले हुए हैं। शासन ने धारा 27 के तहत इन शिक्षकों के तबादले किए। जिसके बाद अब वर्ष 2021 में भी 250 प्राथमिक शिक्षकों के तबादले अनुमोदित हैं। जबकि माध्यमिक के शिक्षकों की इस मामले में अनदेखी हो रही है। पिछले वर्ष विभाग की ओर से माध्यमिक के शिक्षकों से आवेदन मांगे गए थे, इसके लिए 2500 शिक्षकों ने आवेदन किया, लेकिन शासन की ओर से इन आवेदनों पर अमल नहीं हुआ।

तबादला सत्र शून्य है, लेकिन यदि कोई शिक्षक गंभीर बीमार है तो उन शिक्षकों से धारा 27 के तहत आवेदन मांगे जा रहे हैं। इन आवेदनों पर विचार करते हुए उन्हें शासन को भेजा जाएगा।

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