डॉ. भीमराव अंबेडकर को 29 अगस्त, 1947 को संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था. उनका मानना था कि विभिन्न वर्गों के बीच अंतर को बराबर करना महत्वपूर्ण था, अन्यथा देश की एकता को बनाए रखना बहुत मुश्किल होगा. भारत 26 नवंबर 2019 को अपना 70वां संविधान दिवस मनाने जा रहा है. आज से 70 साल पहले सरकार ने 26 नवंबर 1949 को भारत के संविधान को अपनाया था. जिसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था. बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष थे और उन्हें संविधान का फाइनल ड्राफ्ट तैयार करने में 2 साल 11 महीने और 17 दिन लगे. पूरे देश में 26 नवंबर को संविधान दिवस के तौर पर मनाया जाता है. जानें भारत के आम नागरिक के लिए कितना महत्वपूर्ण है संविधान.
संविधान की खास बात ये है कि अधिकार और कर्तव्य यानी ‘Rights and Duites’ के बारे में विस्तार से वर्णन किया गया है. संविधान सभा के सदस्य भारत के राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा चुने गए थे.
जवाहरलाल नेहर, डॉ. भीमराव अंबेडकर, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि इस सभा के प्रमुख सदस्य थे. हमारा संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है. मसौदा लिखने वाली समिति ने संविधान हिंदी, अंग्रेजी में हाथ से लिखकर कैलिग्राफ किया था और इसमें कोई टाइपिंग या प्रिंटिंग शामिल नहीं थी. बता दें, संविधान के लागू के होते ही समाज को निष्पक्ष न्याय प्रणाली मिली. नागरिकों को मौलिक अधिकारों की आजादी मिली और कर्तव्यों की जिम्मेदारी भी.
भारतीय संविधान में ये महत्वपूर्ण बातें शामिल हैं–
. भारतीय संविधान लचीला और गैर लचीला दोनों है
. यह लिखित और विस्तृत है
. मौलिक अधिकार प्रदान किया गया है
. न्यायपालिका की स्वतंत्रता, यात्रा, रहने, भाषण, धर्म, शिक्षा आदि की स्वतंत्रता,
.एकल राष्ट्रीयता,
. राष्ट्रीय स्तर पर जाति व्यवस्था का उन्मूलन
. समान नागरिक संहिता और आधिकारिक भाषाएं
. केंद्र एक बौद्ध ‘गणराज्य’ के समान है.
. बुद्ध और बौद्ध अनुष्ठान का प्रभाव
. भारतीय संविधान अधिनियम में आने के बाद, भारत में महिलाओं को मतदान का अधिकार मिला है.