देहरादून
क्या आपने कभी मोमबत्ती की रोशनी में गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी होते हुए सुना है । राजधानी देहरादून में दून महिला चिकित्सालय के डॉक्टर इतने काबिल हैं कि वह मोमबत्ती की रोशनी में ही डिलीवरी करा देते हैं
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं किस तरह वेंटिलेटर पर है यह किसी से छिपा नहीं है। पहाड़ों में डॉक्टर्स ना होने के चलते मरीज देहरादून और हल्द्वानी जैसे बड़े शहरों की ओर लाए जाते हैं। लेकिन अगर राजधानी देहरादून में भी मरीजों की सेहत के साथ खिलवाड़ हो तो आप क्या कहेंगे। राजधानी देहरादून में प्रदेश का सबसे बड़ा दून महिला चिकित्सालय है करीब 200 बेड के इस अस्पताल में रोजाना दर्जनों गर्भवती महिलाएं प्रसव के लिए लाई जाती है। लेकिन मंगलवार को इस अस्पताल में डॉक्टरों ने मोमबत्ती की रोशनी में ही 9 गर्भवती महिलाओं को डिलीवरी कराई। सुनकर आप हैरान होंगे लेकिन यह हकीकत है। दून अस्पताल में अपनी पत्नी को लेबर पेन होने के चलते रविंद्र सिंह लेकर आए। लेकिन दून महिला अस्पताल में डॉक्टर ने मोमबत्ती की रोशनी में ही उनकी पत्नी की डिलीवरी कराई। हालांकि डिलीवरी मैं जच्चा-बच्चा को किसी तरह की दिक्कत नहीं हुई। लेकिन सिर्फ एक ही नहीं बल्कि लगातार 9 डिलीवरी मोमबत्ती की रोशनी में ही करा दी गई।
वहीं दून अस्पताल के सीएमएस डॉक्टर केके टम्टा का कहना है कि मौसम खराब होने के चलते बिजली नहीं थी और अस्पताल के दोनों इलेक्ट्रिशियन छुट्टी पर थे जिसके चलते जनरेटर से विद्युत आपूर्ति नहीं मिल पाई ऐसे में मरीज की हालत को देखते हुए मोमबत्ती से ही डिलीवरी कराई गई जो पूरी तरह से सफल रही लेकिन अब भविष्य में बिजली को लेकर किसी तरीके की अस्पताल में कोई दिक्कत नहीं है।
उत्तराखंड में स्वास्थ्य महकमा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के पास ही है प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री भी मुख्यमंत्री खुद ही हैं बावजूद इसके राजधानी देहरादून से ऐसी घटनाएं सामने आ रही है तो ऐसे में समझा जा सकता है कि प्रदेश के पहाड़ी और दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का क्या हाल होगा। हालांकि मामले में जब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से पूछा गया तो उनका भी बेतुका जवाब सामने आया सी एम् इस घटना को बड़ी घटना नहीं मानते हैं उनका कहना है मोमबत्ती से डिलीवरी होने कोई गलत नहीं है। बिजली ना होने के चलते ऐसा करना पड़ा।