उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुंबई जाने से पहले भाजपा के नेताओ को नए साल का तोहफा दे दिया हैं बता दे कि इस समय मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत मुंबई में हैं जहा वे कल उत्तराखंड भवन एंव राज अतिथि गृह एम्पोरियम का लोकार्पण करेंगे

आज मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 10 नेताओं को दर्जाधारी राज्यमंत्री बनाया है मुख्यमंत्री के इस फैसले से लंबे समय से इंतजार कर रहे भाजपा के कुछ निष्ठावान नेताओं को राहत तो मिली है ऐसा कहा जा सकता हे लेकिन राजनितिक गलियारों से खबर हे कि ब्राह्मण समाज काफी समय से सरकार से नाराज़ चल रहा हे वही ब्राह्मण जाती के भाजपा नेता भी इन नामो में खुद का नाम ना देख आग बबूला हो रखे हैं आइये आपको बताते हैं किन की किसमत आज मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने बदल डाली

उत्तराखंड राज्य बीज एवं जैविक उत्पाद प्रमाणीकरण संस्था के अध्यक्ष बनाए गए राजवीर सिंह
उत्तराखंड आवास एवं विकास परिषद के अध्यक्ष बनाए गए विश्वास डाबर
उत्तराखंड राज्य उच्च शिक्षा उन्नयन समिति के उपाध्यक्ष बनाए गए बहादुर सिंह बिष्ट
सिंचाई सलाहकार समिति के उपाध्यक्ष बनाए गए अतर सिंह असवाल
सिचाई सलाहकार समिति द्वितीय के उपाध्यक्ष बनाए गए अतर सिंह तोमर
माटी कला बोर्ड के उपाध्यक्ष बनाए गए शोभाराम प्रजापति
समाज कल्याण योजना अनुश्रवण समिति के उपाध्यक्ष बनाए गए फकीर राम टम्टा
पिछड़ा वर्ग कल्याण परिषद के उपाध्यक्ष बनाए गए खेमपाल सिंह
उत्तराखंड वन पंचायत सलाहकार परिषद के उपाध्यक्ष बनाए गए करण बोहरा
जैविक उत्पाद परिषद के उपाध्यक्ष बनाए गए सुशील चौहान

अब सवाल राजनीतिक गलियारों में ये उठने लगा हैं कि आखिरकार इन नामो के बिच किसी ब्राह्मण
जाती के नेता और पुराने कार्यकर्ता के नाम क्यों नहीं शामिल हैं या उन्हें क्यों नहीं जिम्मेदारी दी जा रही हैं । जिन्होंने सालो साल से भाजपा को उत्तराखंड में सींचा हैं जैसे की कैलाश पंत,भास्कर नैथानी , सुरेश जोशी , केदार जोशी , ऋषि राज डबराल , विनोदा उनियाल , लाखी राम जोशी , मधु भट्ट समेत कई अनेक नाम शामिल हैं

सूत्र की मने तो उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन की खबरे सोशल मीडिया पर आजकल वायरल हो रही हैं जिसका कारण ये माना जा रहा हे की अब मोदी के नाम पर वोट नहीं मिलने वाला बल्कि राज्य के मुख्यमंत्री की साफ़ छवि और सरकार के बोलते काम को लेकर ही जनता ईवीएम का बटन साल 2022 में दबाने जा रही है तो पार्टी का कार्यकर्ता भी उसके साथ होगा जो सब समाज को और खासकर उनको साथ लेकर चलने वाला होगा उदाहरण के तोर पर झारखण्ड राज्य हमारे सामने हैं
ओर कही राज्यो से भाजपा की सत्ता हाथ से छीन ली गई है सूत्र ये भी कहते हैं की ब्राह्मण समाज के लोग भाजपा पार्टी सहित त्रिवेंद्र सरकार से काफी नाराज़ चल रहे हैं

वही देवस्थानम विधेयक को राजभवन से मजूरी मिल गई हैं जिसके बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने मुंबई जाने से पहले कहा की बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और इनके आसपास के मंदिरों का प्रबंधन चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के नियंत्रण में रहेगा लेकिन इनसे जुड़े पुजारी, न्यासी, तीर्थ, पुरोहितों, पंडों और हकहकूकधारियों को वर्तमान में प्रचलित देव दस्तूरात और अधिकार यथावत रहेंगे

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र कहा कि जब हम कोई भी सुधार करते हैं तो उसकी प्रतिक्रिया होती ही है। उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में तीर्थ पुरोहितों के हितों को पूरी तरह सुरक्षित रखा जायेगा। उन्होंने कहा प्रदेश के चार धाम सहित अन्य धार्मिक स्थलों पर देश-विदेश से हिन्दु श्रद्धालु आना चाहते हैं, हमें अच्छे आतिथ्य के रूप में जाना जाता है। देश-विदेश के श्रद्धालुओं को उत्तराखण्ड के धार्मिक स्थलों पर आने का मौका मिले तथा उन्हें अच्छी सुविधाएं उपलब्ध हों इसके लिए यह विधेयक लाया गया है।

बहराल सरकार कुछ भी बोले और मुख्यमंत्री अपनी तरफ से कुछ भी सफाई दे पर इसके बाद भी ब्राह्मण
समाज के लोग और भाजपा के ब्राह्मण जाति के नेता और कार्यकर्ता काफी नाराज़ चल रहे हैं! बस अगर चुप हे तो इस लिए की 57 का प्रचंड बहुमत जनता ने दिया हैं और यदि यही सब चलता रहा तो 2022 में यही जनता अपनी दिल की बात ईवीएम का बटन दबा कर कहेगी ।बहराल सभी बातें सूत्रों के आधार पर है कि उत्तराखंड मैं भारतीय जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी ब्राह्मण समाज के लोग नाराज है यदि समय रहते सरकार और पार्टी बात को समझ जाए तो पार्टी और सरकार के लिए ही अच्छा होगा इस तरह की खबरें वायरल हो रही है।

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