उत्तराखंड मानसून सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सदन की कार्यवाही रोक चर्चा कराने की मांग की। नियम 310 के तहत कांग्रेस ने कानून व्यवस्था का मुद्दा उठाया और हंगामा किया। जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने नियम 58 के तहत कानून ब्यवस्था के मुद्दे को सुनने का आश्वासन दिया। जिसके बाद सत्र की कार्रवाई सुचारू ढंग से सुरु हुई।
विधानसभा सत्र के दूसरे दिन प्रश्नकाल में विधायकों ने समाज कल्याण और पर्यटन समेत विभिन्न विषयों से सम्बंधित सवाल उठाए। वृद्धा अवस्था पेंशन पति-पत्नी को न मिलने के सवाल पर समाज कल्याण मंत्री घिरे। कांग्रेस विधायक ममता राकेश ने पूछा था सवाल कि पात्रता पूरी करने के बावजूद पति-पत्नी को पेंशन देने की बजाए पति की पेंशन क्यो बंद कर दी गई। मंत्री यशपाल आर्य ने जवाब दिया कि अब ये व्यस्था है। इस पर भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह जीना और विनोद चमोली ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि कैबिनेट के निर्णय को विभाग कैसे बदल सकता है।
इसके जबाब में कार्यकारी संसदीय कार्यकारी मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि 2016 में कांग्रेस कार्यकाल में ये व्यवस्था हुई थी। साथ ही मंत्री आर्य ने कहा कि इस विषय पर विचार किया जाएगया।
निर्दलीय विधायक प्रीतम पंवार ने पूछा राज्य के तीर्थों में अवस्थापना सुविधाओं की कार्ययोजना का सवाल उठाया कि सरकार जम्मू कश्मीर स्थित प्रसिद्ध तीर्थस्थल वैष्णो देवी की तर्ज पर उत्तराखंड के यमुनोत्री, केदारनाथ, हेमकुंड में पैदल मार्ग और अवस्थापना सुविधाएं कब विकसित करेगी। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा सरकार के पास ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। इस स्तर की अवस्थापना सुविधाएं आयुक्त गढ़वाल और जिला स्तर पर विकसित की जाती हैं। झबरेड़ा विधायक देशराज कर्णवाल ने पूछा कि क्या सरकार उत्तर प्रदेश की तरह उत्तराखंड में भी किसानों को सिंचाई अपासी माफ़ करने पर विचार कर रही है। सिंचाई मंत्री ने अपने जवाब में किसानों को सिंचाई अपासी माफ़ करने से इंकार किया। कहा कि नहरों, नलकूपों, लघुडाल नहरों से आपसी से हर साल 2.95 करोड़ प्राप्त होते हैं, जबकि हर साल व्यय 85 करोड़ रुपये है।
आज विधानसभा परिसर में मनोज रावत ट्रेकर्स की यूनिफॉर्म में पहुंचे। उन्होंने उत्तराखंड के बुग्यालों में शादी का विरोध किया। उन्होंने उत्तराखंड सरकार पर जमीन बेचने का आरोप लगाया। मांगों को लेकर विभिन्न संगठनों ने विधानसभा कूच किया। इसी क्रम में 108 आपातकालीन सेवा और खुशियों की सवारी से हटाए गए फील्ड कर्मचारी समायोजन और बहाली की मांग को लेकर मंगलवार को विधानसभा कूच किया। रिस्पना पुल के पास विरोध कर रहे पूर्व कर्मचारियों को पुलिस ने रोक दिया गया। कर्मचारियों ने यही पर धरना पर बैठ गए हैं। वहीं, कर्मचारियों की मांगों को कई विधायकों ने भी समर्थन दिया है। इस दौरान 108 का एक कर्मचारी बेहोश हो गया।
वहीं जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ की ओर से परेड ग्राउंड से विधानसभा तक नौ सूत्रीय मांगों को लेकर महा रैली निकाली गई।
भोजन अवकाश के बाद के बाद सदन में नियम 58 के तहत 4 मामले सामने आए । जिनमें 108 कर्मचारियों, सहकारिता भर्ती, बुग्यालों में ट्रैकिंग और कानून व्यवस्था का मुद्दा प्रमुख रहा।
सदन के दूसरे दिन सत्ता और विपक्ष के विधायकों ने जनहित से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने के साथ ही सरकार को तमाम सवालों से घेरने का किया।