उत्तराखंड का सबसे बड़ा अस्पताल मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहा है। देहरादून स्थित राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल मरीजों को लेकर गंभीर नहीं दिख रहा है। भले ही प्रशासन की ओर से बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के दावे किए जाते हैं पर अस्पताल प्रशासन की लापरवाही खुलकर सामने दिख रही है। आग लगने जैसी घटनाओं की रोकथाम के लिए कोई साधन नहीं है केवल खानापूर्ति की गई है। 
अस्पताल में किसी बड़ी दुर्घटना होने की स्थिति में कोई व्यवस्थाएं नहीं की गई हैं। ताकि तुरंत राहत और बचाव कार्य किए जा सके। हाल ही में दिल्ली में एम्स में आग लगने की एक बड़ी घटना हुई थी उससे भी उत्तराखंड के इस बड़े अस्पताल ने कोई सबक नहीं ली है। केवल फायर इक्यूपमेंट लगाने की खानापूर्ति ही यहां पर की गई है। यहां पर अगर आग लगने जैसी कोई घटना हो जाय तो  बचाव कार्य भगवान भरोसे ही है। दून अस्पताल में असुविधाओं पर सीएमएस डॉ. केके टम्टा किस तरह से अपना पल्ला झाड़ रहे हैं ये आप खुद ही देख लीजिए।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के पास उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी है। सीएम ने यह महकमा अपने पास ही रखा है ताकि मुख्यमंत्री के पास स्वास्थ्य महकमा होने से उत्तराखंड में बेहतर से बेहतर इलाज की सुविधाएं मरीजों को मुहैया कराई जा सके। लेकिन इसके बावजूद अधिकारी अपने रवैए पर कायम हैं और केवल खानापूर्ति कर इतिश्री कर ली जाती है। दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में देहरादून के अलावा पूरे उत्तराखंड से मरीज इलाज कराने आते हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश की सीमा से सटे जिलों के मरीज बेहतर इलाज के लिए यहां आते हैं। ऐसे में अस्पताल में अगर कोई बड़ी घटना होती है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा।
उत्तराखंडवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं दिलाने के नाम पर हर साल करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं। बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के बड़े-बड़े दावे भी किए जाते हैं। लेकिन इन दावों की हकीकत यह है कि मरीज और उनके तीमारदार को दून अस्पताल पहुंचते ही मुसीबतों का सामना करना पड़ता है।

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *